THE FACT ABOUT MANAV ADHIKAR HUMAN RIGHTS NEWS HINDI NEWS THAT NO ONE IS SUGGESTING

The Fact About manav adhikar human rights news hindi news That No One Is Suggesting

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राज्य मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष एवं अन्य सदस्यों के वेतन एवं भत्तों का निर्धारण : राज्य मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष एवं अन्य सदस्यों के वेतन एवं भत्तों एवं अन्य सेवा शर्तों का निर्धारण राज्य सरकार ही करती है । लेकिन उनके कार्यकाल के दौरान इसमें किसी प्रकार का अलाभकारी परिवर्तन नहीं किया जा सकता – जैसे वेतन या सुविधा में कमी अथवा कार्यकाल की सीमा में कमी इत्यादि ।

ऐसे में राज्य में होने वाले तमाम मानवाधिकारों के उल्लंघन के मामले की सुध लेना काफी मुश्किल हो गया है. दरअसल मानवाधिकार से जुड़े मामलों में अंतरिम राहत प्रदान करना जिसमें मुआवजा या हर्जाना शामिल होते हैं, उनकी सिफारिश आयोग ही सरकार से करता है. राज्य में आयोग का करीब-करीब ठप्प पड़ने की वजह से मानवाधिकार ज़ुडे़ उल्लंघन मामलों की जांच भी नहीं हो पा रही है. रिपोर्ट में आगे बढ़ने से राज्य आयोग की स्थिति पर एक निगाह डाल लेते हैं.

मानवाधिकार वे अधिकार हैं जोकि इस पृथ्वी पर हर व्यक्ति केवल एक इंसान होने के कारण ही प्राप्त हुए हैं। ये अधिकार विश्व्यापी हैं और वैश्विक कानूनों द्वारा संरक्षित हैं। सदियों से मानवाधिकार और स्वतंत्रता का विचार अस्तित्व में है। हालांकि समय के बदलने के साथ-साथ इनमें भी परिवर्तन हुआ है।

'हमें अधिकारों के साथ कर्तव्य का बोध भी होना चाहिए':राज्यसभा सांसद गुर्जर बोले- सनातन परंपरा में आरंभ से मानव अधिकारों का संरक्षण किया गया

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पश्चिम बंगाल का नंदीग्राम मामला हो अथवा उड़ीसा के गांवों में भूख से त्रस्त किसानों द्वारा आत्महत्या के मामले, हमें यह सोचने के लिए विवश होना पड़ा है कि नई सामाजिक व्यवस्था निर्मित किए बिना भारत की बहुसंख्यक जनता के लिए मौलिक अधिकारों का कोई अर्थ ही नहीं है।

इस अधिकार के तहत हर व्यक्ति को निष्पक्ष अदालत द्वारा निष्पक्ष सुनवाई का अधिकार, उचित समय के भीतर सुनना, वकील के अधिकार, जन सुनवाई के अधिकार और व्याख्या के अधिकार हैं।

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मानव अधिकार हर व्यक्ति को दिए गए मूल अधिकार हैं। सार्वभौमिक होने website के लिए इन अधिकारों को कानून द्वारा संरक्षित किया जाता है हालांकि, दुर्भाग्य से कई बार राज्यों, व्यक्तियों या समूहों द्वारा उल्लंघन किया जाता है। इन मूल अधिकारों से एक व्यक्ति को वंचित करना अमानवीय है। यही कारण है कि इन अधिकारों की सुरक्षा के लिए कई संगठन स्थापित किए गए हैं।

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